Saturday 10 May 2014

कभी सोचता हूँ गर नवोदय हमारी जिन्दगीं मैं न आता तो हम पता नहीं कहाँ गुमनामी के अंधेरों में गुम होते I इस स्कूल ने हमें बहुत कुछ दिया है जब 1989 मै हम स्कूल में दाखिल हुए परमार हॉस्टल में कवलजीत सर वार्डन थे वो मन्दिर में पूजा करना वो बावड़ी के पानी से लाइन में लग कर नहाना I और फिर पंकज भैया के पीछे -पीछे जोर जोर से गाना देश है पुकारता पुकारती है भारती .....और स्कूल की और बड़ते जाना I मैम बलविंदर मैम गुरप्रीत मैम पुष्प लता का बारी बारी से स्टडी पीरियड कि ड्यूटी पे आना Iइम्मामुद्विन सर का अपना एक अंदाज .मेस में एक साथ खाना खाना खाना वो चमचों की आवाजें I वो हिदीं में बातें करना हमरे लिए सब कुछ नया था I और फिर जब हम थोडा बड़े हुए दशवीं क्लास का हर टीचर मुझे अच्छी तरेह से यद् है .हमें बहुत दुःख हुआ था जब पता चला कि प्रिंसिपल सर हमें मैथ नहीं पढाएंगे. लेकिन रविन्दर कुमार सर ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी .हिंदी में तो सुरेश शास्त्री सर से अच्छा कोई हो नहीं सकता हर कविता उन्हें कंटस्थ थी और हमें अब तक हर कविता धुन के साथ याद है मसलन " ये प्रदीप जो दिख रहा है .... और बहुत सी I इंग्लिश हमें मैम बलविंदर जी ने सिखाई और हमने उन्हें क्रिकेट मैच का शौक डलवाया I साइंस में तीनों पीजीटी इन्द्रजीत सर ,वंदना मैम और प्युष मैम S.St . में भी ममता मैम ,अछे लगते थे जब वो civics पढ़ाते थे I और हां हमने पेंटिंग additional subject ले कर रखा था Dhaliwal sir का अपना एक प्रभाव था I वो हमेशा कला में डूबे रहते थे I इसके अलावा बंसल सर और हमारे प्यारे दिवंगत सर जगन्दन सर I बहुत कुछ सिखा उनसे I आज भी at the 11th hour कोई भी programme करने कि हिमत आ जाती हैं i और last but not least प्रिंसिपल राबडा सर मै उनकी morning assembly की speech का बहुत बड़ा दीवाना था खास कर उनका हिंदी अग्रेजी और उर्दू का मिश्रण लाजवाब था I काश इन सब टीचर्स कि खूबियों का कुछ अंस हम भी अपने बच्चों को दे पाएं तो हम भी अपने आप को धन्य समझेंगे

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