मेरे जीवन में रंग भरने वाली मेरी हमसफ़र की तुलिका से निकले ये कुछ बेशकीमती एहसासत |
रुक -रुक कर दोड़े है जिन्दगी,
सवाल कई छोड़े है जिन्दगी I
कंही अमावस कि स्याह घनी रात है जिन्दगी ,
कंही दुधिया चांदनी से सराबोर पूनम की रात हैजिन्दगी I
कभी बिन माँ सी कल्पती है जिन्दगी,
कभी बूढों सी अड़े है जिन्दगी I
खुश हूँ तो खूब खिलखिलाए है जिन्दगी ,
और रो दूँ तो बहुत रुलाये है जिन्दगी I
कंही हारते को दिलाशा है जिन्दगी ,
कंही जीतों का अनवरत शिलशिला है जिन्दगी I
कभी रूठी -रूठी अनमनी सी लगे है जिन्दगी ,
कभी फ़िदा -मेहेरबान सी लगे है जिन्दगी I
चंद क़दमों के फसलों को मीलों में बदले है जिन्दगी,
फिर फ़ासलों को पाटती मासूम सी कोशिश है जिंदगी I
कंही उखड्ती सांसो कि लड़ी लगे है जिन्दगी ,
कंही असीम दुआओं की झड़ी लगे है जिन्दगी I
कभी लगे ये भी कमबक्त जिन्दगी है जिन्दगी ,
कभी लगे यही तो जिन्दगी है जिन्दगी I
अच्छी कविता।
ReplyDeleteहिंदी साइंस फिक्शन
nice poem kya baat kya baat......
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