Sunday 14 September 2014

आज हम MMU गए थे
अच्छा लगा

Friday 12 September 2014

सवांद पहली कडी


                      सवांद आज की बुनयादी व सबसे बड़ी जरुरत है I जब हम सब की शामें अपनी-अपनी सोशल साइटों की सक्रीनों पर गुजरती हैं और  वर्चुअल दुनिया हमारी हंसती बोलती दुनिया को टच और क्लिक्स के गहरे सन्नाटों में कहीं  दफना देती हैं  तो मन होता है कि कैसे भी सवांद को जिन्दा रखा जाए I और जब हर तरफ से  अहम् व बनावटीपन का कुहासा घेरने लगे तो मन की  पृष्ट भूमि पर कुछ परिकल्पनों के फसल की नन्ही –नन्ही  नई  पौध  उपजनें लगती हैं तो सवांद जैसी कोशिशे अस्तित्व में आती हैं, और तय होता है कि आप सब बच्चों से सवांद की इस कड़ी के सहारे जुड़ा जाए व सवांद हीनता के इस शुन्य को खत्म करने की कोशिश की जाए I
                                                              शुरुआती दिनों में सवांद का ये पृष्ट आपको यहीं पर ही मिलेगा व करीब सात  दिनों के लिए रहेगा I आपकी प्रतिक्रिया ईमेल या  हार्ड कॉपी पर ही  सविकार्य होगी I
             बहरहाल ,दुनिया के सबसे लोकप्रिय अंग्रेजी लेखकों में से  एक व बेस्ट सेलर पुस्तक Monk who sold his Ferrari  के लेखक  रोबिन शर्मा इसी किताब में लिखते हैंEverything is created twice, first in the mind and then in reality. दुनिया में  कोई भी कृति दो बार अपना आकार लेती है एक बार रचनाकार के मन में  और दूसरी बार यतार्थ के धरातल पर I इसलिए सपने उगाएं , सपनों को सीचें और सपनों  को तब तक न छोड़ें जब तक वो  सच  न हो  जाएं  , फिलहाल  में आपसे इस खुबसूरत quote के साथ अगले हफ्ते तक अलविदा  लेता हूँ I
               “Investing in yourself is the best investment you will ever make. It will not only improve your life, it will improve the lives of all those around you.”
HAPPY READING FRIENDS
                        सवांद का ये अंक कुछ देरी से ही सही पर अब आपके बीच में है I देरी की वजह कई रही एक  कारण रीजनल गेम्स था  और आप सब की छूट्टी थी  तो इसको लिख भर  देने से इसका बहुयामी उद्देश्य हल नहीं होता I आपकी छुट-पुट प्रतिक्रिया भी मिली व कुछ साथियों कि तल्ख़ पर सही टिपण्णी भी मिली ,कुछ होंसला दुसरे KV से साथियों ने भी  बढ़ायाI कुल मिलाकर सवांद पर चुप्पियों  के ताले नहीं पडे I
           इसी दौरान बहुत कुछ ऐसा घटा जिसने मुझे अन्दर तक झकझोर दिया I आज की ही बात है एक छोटी क्लास कि बच्ची मासूमियत में मुझे बता गई, “सर ! पता है मैं कैसे जिन्दा बच्ची हूँ?” मैने कहा,” कैसे ?” “मेरी शक्ल लड़कों से मिलती है जब मैं गाँव में पैदा हुई ओरतों को पता नहीं चला कि मै लड़की हूँ नहीं तो वो मुझे भी दूध में डुबो कर ..................I ” मैं इस पड़ताल में बिल्कुल नहीं पड़ना  चाहता कि इस  बात में कितनी सचाई है पर ये बात बहुत पुरानी भी नहीं हैं हद से हद 10 साल पहले | ये  बात आपको बता कर मेरा मकसद आपके रोंगटे खड़े करना नहीं है बल्कि आपको ये बताना है ये घटनाएं हमारे आसपास की हैं पडे -लिखे , सभ्य व संभ्रात परिवार की हैं I
                    आज पूरा देश ,देश की विकृत लिंग अनुपात से आहत है हरियाणा के सन्दर्भ में आकड़ें और भयानक हो जाते  हैं और जब अपने  प्रिंसिपल ऑफिस के बोर्ड परे लिखे  आकड़ों पर  मैने हल्का गंणित प्रयोग किया, मै दंग  रह गया कि  ये लिंग अनुपात का आंकड़ा अपने यहाँ भी बुरी तरह से ओंदे मुह गिरा हुआ है I
                                         Actually when we talk about women empowerment, we advocate for women reservation, we cry for the rights of this half population. At the same time you are not giving them right to live then people like me who believes in feminism hurts most.   With this quote I would like to   conclude,                                  
                                 A baby is God’s opinion that life should go on.”- Carl Sandburg
      HAPPY READING FRIENDS


                                                                                           

Saturday 10 May 2014

कभी सोचता हूँ गर नवोदय हमारी जिन्दगीं मैं न आता तो हम पता नहीं कहाँ गुमनामी के अंधेरों में गुम होते I इस स्कूल ने हमें बहुत कुछ दिया है जब 1989 मै हम स्कूल में दाखिल हुए परमार हॉस्टल में कवलजीत सर वार्डन थे वो मन्दिर में पूजा करना वो बावड़ी के पानी से लाइन में लग कर नहाना I और फिर पंकज भैया के पीछे -पीछे जोर जोर से गाना देश है पुकारता पुकारती है भारती .....और स्कूल की और बड़ते जाना I मैम बलविंदर मैम गुरप्रीत मैम पुष्प लता का बारी बारी से स्टडी पीरियड कि ड्यूटी पे आना Iइम्मामुद्विन सर का अपना एक अंदाज .मेस में एक साथ खाना खाना खाना वो चमचों की आवाजें I वो हिदीं में बातें करना हमरे लिए सब कुछ नया था I और फिर जब हम थोडा बड़े हुए दशवीं क्लास का हर टीचर मुझे अच्छी तरेह से यद् है .हमें बहुत दुःख हुआ था जब पता चला कि प्रिंसिपल सर हमें मैथ नहीं पढाएंगे. लेकिन रविन्दर कुमार सर ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी .हिंदी में तो सुरेश शास्त्री सर से अच्छा कोई हो नहीं सकता हर कविता उन्हें कंटस्थ थी और हमें अब तक हर कविता धुन के साथ याद है मसलन " ये प्रदीप जो दिख रहा है .... और बहुत सी I इंग्लिश हमें मैम बलविंदर जी ने सिखाई और हमने उन्हें क्रिकेट मैच का शौक डलवाया I साइंस में तीनों पीजीटी इन्द्रजीत सर ,वंदना मैम और प्युष मैम S.St . में भी ममता मैम ,अछे लगते थे जब वो civics पढ़ाते थे I और हां हमने पेंटिंग additional subject ले कर रखा था Dhaliwal sir का अपना एक प्रभाव था I वो हमेशा कला में डूबे रहते थे I इसके अलावा बंसल सर और हमारे प्यारे दिवंगत सर जगन्दन सर I बहुत कुछ सिखा उनसे I आज भी at the 11th hour कोई भी programme करने कि हिमत आ जाती हैं i और last but not least प्रिंसिपल राबडा सर मै उनकी morning assembly की speech का बहुत बड़ा दीवाना था खास कर उनका हिंदी अग्रेजी और उर्दू का मिश्रण लाजवाब था I काश इन सब टीचर्स कि खूबियों का कुछ अंस हम भी अपने बच्चों को दे पाएं तो हम भी अपने आप को धन्य समझेंगे

Monday 7 April 2014

मेरे अल्फाज़ उसके रंग चलते रहें संग संग I

मेरे जीवन में रंग भरने वाली मेरी हमसफ़र
 की  तुलिका से निकले ये कुछ बेशकीमती एहसासत 



 रुक -रुक कर दोड़े है जिन्दगी,
सवाल कई छोड़े है जिन्दगी I
   कंही  अमावस कि स्याह घनी रात है जिन्दगी ,
   कंही दुधिया चांदनी से सराबोर पूनम की रात हैजिन्दगी I
        कभी बिन माँ सी कल्पती है जिन्दगी,
        कभी  बूढों सी अड़े है जिन्दगी I
खुश हूँ तो खूब  खिलखिलाए है जिन्दगी ,
और रो दूँ तो बहुत रुलाये है जिन्दगी I            
          कंही हारते को दिलाशा है जिन्दगी ,
          कंही  जीतों का अनवरत शिलशिला है जिन्दगी I
                      कभी  रूठी -रूठी अनमनी सी लगे है जिन्दगी ,
                      कभी  फ़िदा -मेहेरबान सी लगे है जिन्दगी I
चंद क़दमों के फसलों को मीलों में बदले है जिन्दगी,
फिर फ़ासलों को पाटती मासूम सी  कोशिश है जिंदगी I
      कंही उखड्ती सांसो कि लड़ी लगे है जिन्दगी ,
      कंही असीम दुआओं की झड़ी लगे है जिन्दगी I
         कभी लगे ये भी कमबक्त जिन्दगी है जिन्दगी ,
         कभी लगे यही तो जिन्दगी है जिन्दगी I
         


कुलदीप सिंह ठाकुर 's Profile : Hamarivani.com

कुलदीप सिंह ठाकुर 's Profile : Hamarivani.com

NCERT Books Download / CBSE Books Download. | मेरी दुनिया मेरे सपने

NCERT Books Download / CBSE Books Download. | मेरी दुनिया मेरे सपने

ऑनलाइन हिंदी/उर्दू समाचार पत्र (Online Hindi/Urdu News Papers) | मेरी दुनिया मेरे सपने

ऑनलाइन हिंदी/उर्दू समाचार पत्र (Online Hindi/Urdu News Papers) | मेरी दुनिया मेरे सपने

ऑनलाइन/ऑफलाइन हिंदी पत्रिकाएं (Popuar Hindi Magazines). | मेरी दुनिया मेरे सपने

ऑनलाइन/ऑफलाइन हिंदी पत्रिकाएं (Popuar Hindi Magazines). | मेरी दुनिया मेरे सपने
 बहुत दिन पहले लिखा था
"मन तो इक बार हुआ था  कि जब  जाना  है तो जाना है
अब क्या  सुनना अब क्या  बतियाना , जब जाना  है तो जाना  है I"


बीते साल की कुछ यादें



नया कैलेंडर लेने बाजार गया तो मन ने भी इतनी जेहमत  उठाना ठीक समझा कि भई कुछ तो लेखा जोखा होना चाहिए गुजरे साल का I  2012 ने अपना काफिला यूँ समेटा कि लगा जैसे बहुत जल्दी में हो I जनवरी का  पहला पखवाडा आधा छुट्टिओं में गुजरा I मकर संक्रांति के आस –पास स्कूल खुला तो खबर और पुक्ता हुई कि ये साल केन्द्रीय विद्यालय का स्वर्ण– जयंती वर्ष है I                                                               
1963 से 2013 तक 50 वर्षों के सफ़र को केन्द्रीय विद्यालय संगठन बड़े स्तर मनाने जा रहा था I उस वक्त बिल्कुल भी एहसास न था कि पूरा साल हर केन्द्रीय विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि स्वर्ण जयंती समरोह के आस-पास घूमने वाली है I बहुत जल्द स्कूल में एक मीटिंग रखी गई और विद्यालय को वर्ष भर किस दिशा में काम करना है  उसके मुख्य बिन्दुओं  को चिन्हित किया गया I स्कूल बिल्डिंग रेनोवेशन से लेकर ,CCA गतिविधियों का कैलेंडर व अन्य क्रिया-कलापों के लिए एक रोड मेप तैयार किया गया                                     हमारा विद्यालय क्योंकि  देश के सबसे पहेले 20 रेजिमेंटल स्कूलों में से एक था जिन्हें केन्द्रीय विद्यालय  ने 1963 में अपनाकर अपना कुनबा बनाया था I अतएव कम से कम चंडीगढ़ संभाग के हम इस वर्ष के वो विद्यालय थे जिसे   केन्द्र  बना कर पूरे स्वर्ण-जयंती वर्ष के कार्यक्रमों का खाका बुना गया I केन्द्रीय विद्यालय OCF 29 में रीजनल लेवल की मीटिंग हुई मै भी उस मीटिंग में अपने इस ऐतिहासिक विद्यालय कि ओर से शामिल हुआ I तात्कालिक उपायुक्त , सभी सहायक आयुक्त प्रशानिक अधिकारी ,प्राचार्य व कुछ शिक्षकों ने इस मीटिंग में शिरकत की तथा स्वर्ण जयंती वर्ष व स्वामी विवेका  नन्द की 150वीं जयंती वर्ष के कार्यक्रमों  की  रुपरेखा बनाई गई I                                                                      
                                 राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री जी ने नई दिल्ली में उद्घाटन किया तो संभाग स्तर पर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय  के कुलपति महोदय ने मोबाइल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया I अम्बाला के चारों विद्यालयों ने तय किया कि स्वर्ण जयंती वर्ष व स्वामी विवेका  नन्द की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष पर एक भव्य रैली का आयोजन किया जाए  रैली का समापन हमारे विद्यालय में हुआ जिसमें  कि सहायक आयुक्त व VMC के मनोनीत अध्यक्ष भी शामिल हुए I इस रैली के कार्यक्रम ने मेरे प्रबंधन अनुभव में काफी कुछ इजाफा किया जैसे कि चारों विद्यालयों के रिसोर्स व मानव संसाधन का समुचित उपयोग व  स्पोंसरस की  आयोजन में भागीदारी,न केवल इस तरह का ये पहला सफल प्रयोग था वरन निकट भविष्य के लिए इसने कई नए रास्ते खोल दिए I बहराल वक्त अपनी चाल से  चलता रहा I जेठ माह तपते ही स्कूल की छुट्टीयों का आग़ज हुआ तो साथ ही तय हुआ कि बारी–बारी से M & R कमेटी के लोग स्कूल बिल्डिंग के सफेदी और पेंट का  काम जारी रहेंगे हालाँकि स्कूल बिल्डिंग की  face upliftment का काम पहेले ही कर चुके थे I छुट्टियाँ खत्म हुई तो स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह  तैयार थी एक भव्य स्वर्ण-जयंती समोरोह के लिए I रॉयल ब्लू व सफेद कलर के कॉम्बिनेशन पर भी काफी माथापची हुई जिसमें ये बात ध्यान  में रखी गई कि पिछले KVS के  50 वर्षों में काफी कुछ बदला है ,कंही न कंही ये कलर वर्तमान को  सवांरने के साथ –साथ बीते लम्हों की  यादों को भी संजोए रखने का प्रयास था I स्कूल अपनी दैनिक क्रियाकलापों के साथ आगे बढता रहा और अब तक मानसून उत्तरभारत में पूरी तरह से दस्तक दे चूका था I हम सब परेशान थे  क्यों कि हमें गोल्डन जुबली पर बहुत बड़ा एक समोरोह करना था I हम सब टीम के  तौर पर पूरी तैयार थे I जिसका ट्रायल हम Incentive award 2012 की मेजबानी में कर चुके थे I उस कार्यक्रम की मेजबानी इतनी सराही गई कि तात्कालिक आयुक्त साहिब ने यहाँ तक कहा था कि “You have raised the level of function” .लेकिन अब की बार हमारी काफी चिंताएं थी मौसम का मिज़ाज एक तरफ था ,वहीँ मुख्यातिथि के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी I हमारे पास काफी विकल्प थे लेकिन तारीख कब मुकरर हो ये सब हमारे हाथ में न था I इस सिलसिले में हमारी फहेरिसत में जो महानुभाव शामिल थे उसमें एक दो विश्वविद्यालय के कुलपति, स्थानीय सासंद, कोई उच्च -प्रशासनिक आधिकारी या फिर केन्द्रीय विद्यालय का  पूर्ब   छात्र जिसने कामयाबी के उच्च शिखर को छुआ हो I हम ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन के वरिष्ट अधिकारीयों  के लिए भी अपने विकल्प खुले रखे थे I हम ने इस function के लिए एक गोल्डन ट्रायंगल बनाई थी जिसकी एक सिरे पर थे संभागीय आधिकारी दुसरे छोर पर हमारी स्कूल  वी. ऍम . सी. व तीसरे कोने में स्कूल प्रसासन I
विद्यालय स्तर पर हमने मोटे तौर पर तीन टीम को कार्य बांटा था सबसे महतवपूर्ण कार्य था कल्चरल प्रोग्राम I हम अब की बार कुछ जुदा चाहते थे I टीम को कहा गया “Think somthing out  of box” एक  दो seatings के बाद एक बहुत ही wonderful idea के साथ टीम आई  आईडिया सब को पसंद आया I तक़रीबन 250 बच्चों की  ये इकहरी आइटम थी I टीम को ये निर्देश था केवल आपको एक हफ्ते भर से ज्यादा वकत नहीं मिल  सकता I दूसरी  ये बात भी ध्यान में रखी गई ,जो कुछ भी करना है हमें करना है किसी एक्सपर्ट  कोरिओग्रफ़ेर या फिर दुसरे kv से मदद के पक्ष में कोई न था I इस आइटम में केंन्द्रीय विद्यालय के स्वर्णिम पचास वर्षों के सफर को दिखने की कोशिश कि गई जो वास्तव में बहुत सुंदर प्रस्तुति बन कर सामने आई I
एक बीच में से ही आईडिया उबर कर आया कि चूँकि ये स्वर्ण –जयंती वर्ष है एक स्मारिका विमोचन भी इसी दिन होना चाहिए I दूसरी टीम  ने कार्य पकड़ा और अंजाम तक पहुँचाया I ये काम भी छोटा न था I बहुत सारे संदेशों को इकट्ठा करना था बहुत पुरानी फोटों  को इसमें शामिल किया गया मसलन पहला  बैच उस वक्त का स्टाफ व उससे जुडी अन्य यादें I  हम सब बहुत गर्व महसूस कर रहे थे जब 13 सितम्बर को हमारे मुख्यअतिथि ने इस समारिका का विमोचन किया I मैं मंच से उन सब चेहेरों पर छाई गहेरे सकूं और आत्मसंतोष  के भाव को अच्छी तरह से पढ़  सकता था जिन्होंने दिन रात एक किया तथा अपने हिस्से की जिम्मेवारी के निर्वाहण में I इस कार्यक्रम के आयोजन में हमने बहुत सी पारंपरिक प्रबंधन के सिधान्तों को दर –किनार किया था I तमाम टीमें अपने आप में बहुत से निर्णय लेंने  के लिए स्वन्न्त्र थे I              
    दूसरा सबसे महत्व पूर्ण कार्य था ज्यादा से जयादा  विद्यालय से जुड़े लोगों को इस समोरोह तक पहूँचाना विशेषतौर पर पूर्ब –छात्र, सेवानिवृत शिक्षिक कोI  हमें  ख़ुशी थी हम इस संख्या को 50 से आधिक रख पाए I उन्हे समानित करना और उन की यादों को फिर से ताजा करना ही मात्र हमारा मकसद था I साथ ही लगभग  300- 400 तक आए मेहमानों के जलपान व लंच कि व्यवस्था भी छोटा काम न था खास तब जब कर महज चार-पाचं  दिन पूर्ब तक वेन्यू को लेकर असंजस कि स्थिति बनी हुई थी I टीम का एक धडा इस पक्ष  में था कि क्योंकि ये बीतें दिनों कि यादों से जुडा हुआ समारोह है तो वेन्यू विद्यालय भवन ही रहे तो इस आयोजन के मायने और सार्थक हो जाएंगे I जो लोग इस दिन यहाँ पर आएंगे वो आपने आप को और अच्छी तरह से साथ अपनी  पुरानी  यादों के साथ कनेक्ट कर पाएँगे I लेकिन ये भी एक मत था कि अगर प्रोग्राम ऑडिटोरियम में हो तो कल्चरल आइटम्स व प्रदर्शनी के लिए अच्छी जगह का इंतजाम है साथ ही मौसम को देखते हुए हॉल में ही  प्रोग्राम करने का निर्णय लिया गया I VMC  अध्यक्ष जी कि हिदायत थी कि हमारे पास plan A, plan –B हमेशा  रहना चाहिए, गर एक प्लान  फेल हो तो  दूसरा प्लान  का विकल्प इस्तेमाल किया जा सके I अंत में ये तय हुआ कि प्रोग्राम रैना ऑडिटोरियम में और लंच का इन्तजाम सरहिंद क्लब में  रखा गया
एक और जो सबसे महत्वपूर्ण परियोजना थी और व थी फोटो प्रदर्शनी जब सभी बैनर तैयार हो गए और हॉल की  एंट्री पर सजा दी गई तो एक बार सचमुच में भी व्यक्तिगत तौर पर अचंबित रह गया और दिलों दिमाग में पुराने गीत की ये पक्तियां कौंध आई “ये कंहा आ गए हम” हर कुछ करीने से व्यवस्थित था I पूरा स्कूल एक electronic circuit  की तरह काम कर रहा था हम जानते थे सर्कट  में कहीं  पर  छोटा  सा break भी final output को जीरो कर सकता था I सब लोग एक दुसरे से कनेक्ट थे सच कहूँ तो हम एक दुसरे के संकेतों  को भी समझने लगे थे I आखिरी क्षणों की वो घटना मुझे घर पर कॉल आती है कि सब कुछ सही चल रहा बस बेक स्टेज का बैनर नहीं आया है स्टेज पूरी तरह से सज चूकी है अधिकारी व मेहमानों के आगमन का शिलशिला अनवरत जारी था I स्टेज पर देखा तो उस भारी-भरकम व लम्बे-चौड़े बैनर को लगाने की कोशिश जारी थी  इसी कोशिश में एक साथी के हाथों में चोट भी आती है लेकिन उन्होंने खून के बहाव  को रोकने के लिए रुमाल बांध लिया लेकिन काम नहीं छौड़ा I आर्मी के लोग सिर पर खड़े थे कि बेक स्टेज में लगे उनके सिनेमा के पर्दे को कोई नुकसान न पहुंचे I एक साथी इस लिए भी खपा थे बैनर ने स्टेज की साज-सजा को थोडी  देर के लिए अस्त व्यस्त कर दिया था I हॉल के बाहर से संदेश आता है कि VMC Chairman का  कारवां पंहुच चूका है I AC मैडम का आदेश आता  है कि एक बार साउंड सिस्टम व माइक कि आवाज जांच लें I हम सब पसीने से तर थे हम  दोनों होस्ट साथी देखते हैं कि हाल लगभग भर चूका  है और हमारे जेहन  में कुछ नहीं आ रहा हम दोनों “पहले आप पहले आप” की स्तिथि में थे I बस वो कठिन वक्त गुजरा कार्यक्रम शुरू हुआ और शेष  सब लोगो आपने यादों  के बक्शों में कहीं संजो कर रख दिया I